Monday, December 3, 2007

raat bhar sota nahin

पल पल दिल से ग़मों के,
कितने तूफाँ गुज़रते हैं,
और उन्हें शिक़ायत है,
कि दर्द हमें होता नहीं.

उनके आगे चेहरे पर,
कभी शिकन तक न आने दी,
तो उन्हें लगता है ,
कि मैं कभी रोता नहीं.

हँस-बोल लेता हूँ मैं गर,
तो ख़ुश मान लेते हैं मुझे,
जाने क्यों उनको लगता है ,
कि मेरा चैन खोता नहीं.

मुझे देख समझते हैं वो,
जी रहा हूँ बेफिक्र मैं.
अब कौन उन्हें समझाए कि,
मैं रात भर सोता नहीं.

2 comments:

Unknown said...

abey kyun nahi sota hai raat bhar....???but anyway ,its good one...nice

Unknown said...

waah waah waah..... kya sher arz kiya hai... waise kuch samajh nahi aaya.. but i think it is very good