Tuesday, January 15, 2008

आज भी ...

आज भी याद करता हूँ मैं
इंतज़ार की रातों को
क्या तुम भी भूल सकोगे
उन बहकी -बहकी बातों को ?

तुझे देख दिन होता शुरू
दिल की धड़कन बढ़ जाती
आँखों से हँसकर जो देखा
जगाया दिल के जज़्बातों को ।

आज फिर याद करता हूँ मैं
वो हरपल हँसती आँखें तेरी
और उनमें डूबकर किये गए
साथ जीने के वादों को ।

तेरी तस्वीर से ही सही
दिल की बातें कह लेता था
खो गयी वो भी जाने कहाँ
अब किससे करूँ फरियादों को ?

हाथ बढ़ाकर छुआ जो दिल को
कितने अरमाँ जगा दिए
खूँ के आँसू रोया ये दिल
जब तोड़ा तूने नातों को ।

चले गए यार तुम तो
लगाकर आग पानी में
मैं इस दिल के अश्कों से
जलाता रहा बरसातों को । ।

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