पल पल दिल से ग़मों के,
कितने तूफाँ गुज़रते हैं,
और उन्हें शिक़ायत है,
कि दर्द हमें होता नहीं.
उनके आगे चेहरे पर,
कभी शिकन तक न आने दी,
तो उन्हें लगता है ,
कि मैं कभी रोता नहीं.
हँस-बोल लेता हूँ मैं गर,
तो ख़ुश मान लेते हैं मुझे,
जाने क्यों उनको लगता है ,
कि मेरा चैन खोता नहीं.
मुझे देख समझते हैं वो,
जी रहा हूँ बेफिक्र मैं.
अब कौन उन्हें समझाए कि,
मैं रात भर सोता नहीं.
2 comments:
abey kyun nahi sota hai raat bhar....???but anyway ,its good one...nice
waah waah waah..... kya sher arz kiya hai... waise kuch samajh nahi aaya.. but i think it is very good
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